अनिष्ट चिंतन का अर्थ
[ aniset chinetn ]
अनिष्ट चिंतन उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- बुरा विचार:"अपध्यान से बचने का एकमात्र उपाय है कि उसके विपरीत सोचना शुरू कर दें"
पर्याय: अपध्यान, अनिष्ट चिन्तन
उदाहरण वाक्य
- दूसरों की संपत्ति को अन्याय से लेने का विचार , मन से दूसरे का अनिष्ट चिंतन तथा नास्तिक बुद्धि मानसिक पाप हैं।
- शिकायत नहीं , यहां तक कि आकाश की ओर देखकर एक बार भी आंसू भरी आंखों से यह न कह सका कि हे भगवान , मैंने किसी का अनिष्ट चिंतन नहीं किया।
- पाँच पाप मन से होते हैं- पराये धन की इच्छा , दूसरों का अनिष्ट चिंतन, तृष्णा (कभी न तृप्त न होने वाली धन, भोग, मान आदि की इच्छा), क्रोध, अज्ञान में अहंकार से कर्ता-भोक्ता बने रहना।
- पाँच पाप मन से होते हैं- पराये धन की इच्छा , दूसरों का अनिष्ट चिंतन , तृष्णा ( कभी न तृप्त न होने वाली धन , भोग , मान आदि की इच्छा ) , क्रोध , अज्ञान में अहंकार से कर्ता-भोक्ता बने रहना।
- इनमें शामिल हैं -1 कायिक दोष ( बिना दी हुई अननुमत वस्तुओं को हड़पलेना , अविवाहित हिंसा करना तथा परस्त्रियों से अवैध संबंध बनाना 2 - वाचिक दोष ( कठोर वाणी बोलना , असत्य भाषण करना , चुगलखोरी करना तथा अनर्गल प्रलाप करना ) , 3 - मानसिक दोष ( पराये धन का लालच , मन ही मन किसी के विरूद्ध अनिष्ट चिंतन तथा नास्तिक बुद्धि ) ।